Story in Hindi : Tusli Sahib Aur Mahila
संत का असली स्वरूप
जो प्राणी निस दिन भजै तिह जान।
हर जन हर अंतर् नहीं नानक साची मान। – गुरु तेग बहादुर
Story in Hindi : Tusli Sahib Aur Mahila
तुलसी साहिब महाराष्ट्र के इलाके पुणे और सतारा के युवराज थे। युवावस्था में ही उन्हें पता चल गया था कि उनके पिताजी राजपाट त्याग ना चाहते हैं। तुलसी साहिब के मन में प्रभु का गहरा प्रेम था। आप अपना सारा जीवन परमात्मा रूपी प्रियतम के चरण कमलों में बिताना चाहते थे।
Tulsi Sahib ka chupke se Mahal ke bahar Jana
इसलिए आप रात्रि के अंधकार में चुपके से महलों से से बाहर निकल गए। तुलसी साहिब के घर से चोरी चोरी चले जाने के बाद आपके जीवन के बारे में कुछ अधिक पता नहीं चलता। कई वर्ष बाद आपने उत्तर प्रदेश के हाथरस शहर में अपना ठिकाना बनाया। यहां आपने संतमत का प्रचार करना शुरू कर दिया।
Tulsi Sahib ka Mahila ko Confuse krna
एक दिन एक महिला ने तुलसी साहिब से कहा कि आपने अपनी शब्दावली में लिखा है राहुरी विदेह देह दरसाउ मुझे इस बात की समझ नहीं आई। महिला ने कहा कि आप शरीर रूप में खड़े हैं। फिर आप विदेह कैसे हो गए?
Tulsi Sahib Dwara Mahila ko Apna Asli Roop dikhna
तुलसी साहिब ने उत्तर दिया कि अगर तुम्हें ऐसा महसूस होता है तो तू मुझे पकड़ ले। उस महिला ने बार-बार तुलसी साहिब को अपनी बाहों में लेने की कोशिश की पर वह उनको पकड़ ना सकी। तुलसी साहिब ने कहा अरी माया की दासी तू क्या जाने संतों की गति।
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