विरह वेदना
Stories for kids in hindi-प्रभात बेला की इबादत और रात भर मालिक के वियोग में विलाप मालिक की प्राप्ति के खजाने की कुंजी है।- ख्वाजा हाफिज
शेखशिबली एक दिन अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। सर्दी का मौसम था आग जल रही थी। अचानक उनका ध्यान चूल्हे में जलती हुई लकड़ी के एक टुकड़े पर गया। जो धीरे-धीरे सुलग रहा था। लकड़ी कुछ गीली थी इसलिए आग की तपिश से पानी की कुछ बूंदें इकट्ठे होकर उसके एक कोने से टपक रही थी। कुछ देर सोचने के बाद शेखशिबली ने अपने शिष्यों से कहा ।तुम सब दावा करते हो कि तुम्हारे अंदर परमात्मा के लिए गहरा प्रेम और भक्ति है। पर क्या कभी सचमुच बिरह की आग में जले हो। मुझे तुम्हारी आंखों में ना कोई तड़प, ना ही विरह की वेदना के आंसू दिखाई देते हैं। इस लकड़ी के टुकड़े को देखो। यह किस तरह जल रहा है। और किस तरह आंसू बहा रहा है। इस छोटे मामूली टुकड़े से कुछ सबक सीखो।
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सच्चा परोपकारी
गुलाम सदा घर में नहीं रहता परंतु पुत्र सदा रहता है । यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे।- सेंट जॉन
जेल खाने में कैदियों की बुरी हालत को देखकर एक परोपकारी आता है । और यह सोच कर कि इनको ठंडा पानी नहीं मिलता। इसलिए 10,20 बोरियां चीनी की लाकर और कुछ बर्फ मिलाकर ठंडा शर्बत पिलाकर उनको खुश कर जाता है। एक दूसरा परोपकारी आता है। और यह देखकर कि उनको अच्छे गेहूं की रोटी नहीं मिलती। बाजरा खाते हैं। कई मन मिठाई मंगवा कर खिला देता है। कैदी और खुश हो जाते हैं ।
इसी प्रकार तीसरा परोपकारी आता है। और देखता है कि उनको अच्छे कपड़े नहीं मिलते बल्कि मोटे मिलते हैं। वह उनके लिए अच्छे नए कपड़ों की पोशाके बनवा कर पहना देता है। कैदी और भी ज्यादा खुश हो जाते हैं ।उन सब ने सेवा की सेवा करनी भी चाहिए । लेकिन कैदी जेल खाने में ही रहे । हमें भी परोपकार करना चाहिए लेकिन हमारा परोपकार किसी को चौरासी की जेल खाने से आजाद नहीं कर सकता। अब फिर इस जेल खाने की मिसाल की तरफ जाओ। एक व्यक्ति के पास जेल खाने की कुंजी है। वह आकर जेल खाने के दरवाजे को ही खोल देता है। और कैदियों से कहता है कि अपने अपने घर चले जाओ। सबसे अच्छा परोपकारी कौन हुआ। आप खुद ही सोच सकते हैं ।जिसने आजाद कर दिया। संत महात्मा दुनिया की जेल खाने की कुंजी लेकर आते हैं और वह कुंजी है नाम।